सभी पाठकों को मेरा नमस्कार! , आज हम इस पोस्ट Vygotsky Theory in Hindi के माध्यम से वाइगोत्सकी के सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत (Socio Cultural Theory) को समझेंगे। इस सिद्धांत में हम वाइगोत्सकी के सामान्य परिचय, अंर्त-वैयक्तिक अधिगम (Interpersonal Learning), अंत: वैयक्तिक अधिगम (Intrapersonal learning), वाइगोत्सकी की अधिगम और विकास की रूपरेखा, सहकारी / सहयोगात्मक अधिगम (Collaborative Learning), एम० के०ओ० (MKO) , समीपस्थ विकास का क्षेत्र (ZPD- Zone of Proximal Development) , पाढ/ढाचा (Scaffolding), पारस्परिक शिक्षण (Reciprocal teaching) को विस्तार से समझेंगे।
वाइगोत्सकी का सामान्य परिचय (Vygotsky Theory in Hindi) –
वाइगोत्सकी का पूरा नाम– लेव सिमनोविच वाइगोत्सकी (Lev Semyonovich Vygotsky)
वाइगोत्सकी का जन्म सन् 1896 में ओरशा, रूसी साम्राज्य (वर्तमान में बेलारूस) में हुआ था। मात्र 37 वर्ष की आयु में सन् 1934 में उनकी मृत्यु हो गई। अपने छोटे से कैरियर में वाइगोत्सकी (Vygotsky) ने विकास मनोविज्ञान (Developmental Psychology) के क्षेत्र में बहुत सराहनीय काम किये। वाइगोत्सकी (Vygotsky) ने बच्चों के संज्ञानात्मक विकास संज्ञानात्मक विकास पर कार्य करते हुए सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत (socio cultural theory) दिया। वाइगोत्सकी (Vygotsky) बच्चों के संज्ञानात्मक विकास के लिए समाज, संस्कृति और भाषा के महत्व पर बहुत बल देते हैं।
वाइगोत्सकी एक बहुत ही प्रतिभाशाली व्यक्ति थे उन्होंने 17 साल की उम्र में पी० एच० डी० कर ली थी और रूस की यूनिवर्सिटीज में पढाने लगे थे। शीत युद्ध (Cold War) के कारण वाइगोत्सकी (Vygotsky) के कार्यों और उनके विचारों को महत्व नहीं दिया गया क्योंकि वह रुस से थे । बाद में जब दुनिया ने वाइगोत्सकी (Vygotsky) के work को देखा तब उनके कार्यों को बहुत सराहा गया।
वाइगोत्सकी एक संरचनावादी /निर्माणवादी मनोवैज्ञानिक थे। निर्माणवाद की संकल्पना ही दो मूल सिद्धांतों से आती है जिनमें से एक सिद्धांत पियाजे का संज्ञानात्मक निर्माणवाद (Cognitive Constructivism) और एक सिद्धांत है वाइगोत्सकी का सामाजिक सांस्कृतिक निर्माणवाद (Socio-Cultural Constructivism) सिद्धांत।
Note– यदि आप लोग निर्माणवाद (Constructivism) और जीन पियाजे, वाइगोत्सकी के सिद्धांतों की तुलना पर एक- एक आर्टिकल चाहते हैं तो इस पोस्ट के नीचे कमेंट करें।
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अधिगम के सोपान (Steps of Learning)
Vygotsky Theory in Hindi
वाइगोत्सकी अधिगम को एक दो पदीय ( two step) प्रक्रिया बताते हैं
1- अंर्त-वैयक्तिक अधिगम (Interpersonal Learning) –
- यह समाज में होगा ( within society)
- सामाजिक सांस्कृतिक संदर्भ में ज्ञान अर्जन (Acquisition of knowledge within socioal context)
जब हम सामाजिक सांस्कृतिक संदर्भ में बालक को अधिगम अवसर देते हैं तो बालक इन अवसरों के साथ अतः क्रिया (Interaction) करते हुए ज्ञान का/ सूचनाओं का अर्जन करता है इसे वाइगोत्सकी अंर्त-वैयक्तिक अधिगम कहते हैं।
- सामाजिक संदर्भ (social context ) , किसी भी तरह के अधिगम का आधार ( basic learning) और भाषा (Language) यह तीनों हमें अंर्त वैयक्तिक अधिगम ( Interpersonal learning) में दिखते हैं।
2- अंत: वैयक्तिक अधिगम (Intrapersonal learning) –
- यह बालक के अंदर होता है (within child)
- स्वयं से अंर्त क्रिया (Interaction with self)
इस अधिगम में बालक अंर्त-वैयक्तिक अधिगम (Inter personal learning) से प्राप्त ज्ञान या सूचनाओं कि अपने साथ अतः क्रिया करता है। उसके पास पहले से कुछ विचार (Thoughts) , अनुभव (Experiences) , संकल्पनाएं (Concepts) होते हैं जिनके साथ वह नए ज्ञान/ सूचनाओं की अतः क्रिया करते हुए अपने ज्ञान का निर्माण करता है।
- संज्ञानात्मक विकास या चिंतन का आधार अतः वैयक्तिक अधिगम (Intrapersonal learning) है
- इसी अतः वैयक्तिक अधिगम (Intrapersonal learning) को छोटे बच्चे बोल-बोलकर करते हैं जिसे वाइगोत्सकी निजी भाषण (private speech) कहते हैं।
Example– आप इस आर्टिकल को पढ़ते हुए सूचनाओं को अर्जित कर रहे हैं यहां आप अंर्त वैयक्तिक अधिगम (Interpersonal learning) कर रहे हैं साथ ही आप इन सूचनाओं की अपने पूर्व ज्ञान अपने पूर्व के विचारों के साथ अतः क्रिया (Interaction) करके अपने ज्ञान का निर्माण करते जा रहे हैं यहां आप अतः वैयक्तिक अधिगम (Intrapersonal learning) कर रहे हैं । बाद में जब कोई आपसे इस सिद्धांत के बारे में पूछेगा तो आप हूबहू यही सूचनाऐं नहीं दे देंगे आपने इस आर्टिकल को पढ़ते हुए जो ज्ञान का निर्माण किया है उसे अपने शब्दों में बता रहे होंगे। यानी किसी भी चीज को सिखाते हुए हम अधिगम की इन दोनों प्रकारों का प्रयोग करते हैं।
- वाइगोत्सकी कहते हैं कि हमें समाज से भाषा के द्वारा चीजें मिलती हैं फिर हम उन पर अपना चिंतन करते हुए ज्ञान का निर्माण करते हैं और इस निर्मित ज्ञान को अपनी भाषा के द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
इन्हीं दोनों तरह के अधिगम के आधार पर वाइगोत्सकी अधिगम और विकास की रूपरेखा देते-
अधिगम और विकास की रूपरेखा (Framework of learning and development)-
- बालक अपने ज्ञान का निर्माण स्वयं करता है।
इसलिए शिक्षक को जबरदस्ती अपना ज्ञान बालक के ऊपर थोपना नहीं है बल्कि सामाजिक सांस्कृतिक संदर्भ में अधिगम के बहुत सारे अवसर उपलब्ध कराने हैं जिससे बालक अंर्त-वैयक्तिक अधिगम (Interpersonal learning) के द्वारा सूचनाओं का अर्जन कर सके और अंत: वैयक्तिक अधिगम (Intrapersonal learning) के द्वारा अपने ज्ञान का निर्माण कर सके। जिससे उसका संज्ञानात्मक विकास हो सके।
2- अधिगम विकास से पहले होता है (learning leads development)
यहां वाइगोत्सकी पियाजे के विपरीत हो जाते हैं पियाजे का कहना है की अधिगम हमेशा विकास (संज्ञानात्मक) के उपरांत होता है ।
3- अधिगम और विकास को सामाजिक -संस्कृतिक संदर्भों से अलग नहीं किया जा सकता।
क्योंकि सब कुछ अंर्त-वैयक्तिक अधिगम (Interpersonal learning) से शुरू होता है और अंर्त-वैयक्तिक अधिगम समाज और संस्कृत में ही होता है जब बालक समाज में सामूहिक गतिविधियां करता है। जहां सामाजिक सांस्कृतिक संदर्भ गायब होगे वहां अधिगम भी नहीं होगा इसीलिए शिक्षा को दैनिक जीवन से जोड़ने , सामूहिक गतिविधियों की बात की जाती है।
4- भाषा अधिगम और विकास में केंद्रीय भूमिका निभाती है (language play Central role in development)
क्योंकि बालक अंर्त-वैयक्तिक अधिगम (Interpersonal learning) में सूचनाऐं प्राप्त करेगा भाषा के माध्यम से, अतः ववैयक्तिक अधिगम (Intrapersonal learning) में इन सूचनाओं पर चिंतन करेगा भाषा के माध्यम से यानी सब कुछ भाषा के माध्यम से ही हो रहा है।
शिक्षण अधिगम प्रतिमान (Teaching Learning Model)- Vygotsky
(1) समूह क्रियाविधियां (Group Activities)
सभी प्रकार की शिक्षण अधिगम प्रक्रियाएं समूह क्रियाविधियों (Group Activities) में क्रियान्वित होनी चाहिए । क्योंकि समूह क्रियाविधियां हमें तीन चीज देती है-
- अंर्त-वैयक्तिक अर्जन के अवसर
- अतः वैयक्तिक ज्ञान निर्माण के लिए स्थान ( समूह में बालक की भूमिका और दायित्व अतः वैयक्तिक अधिगम प्रदान करेगा)
- समाजीकरण (Socialisation) प्रमुखता में होता है। बच्चे सहकार (Cooperation) , जिम्मेदारियां (Responsibility) , परानुभूति (Empathy) , सहयोग (Collaboration) आदि सीखते हैं।
(2) सहकारी / सहयोगात्मक अधिगम (Collaborative Learning) –
ऐसी अधिगम प्रक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक विद्यार्थी समूह गतिविधियों (Group Activities) के माध्यम से एक दूसरे का सहयोग करते हुए एक दूसरे के साथ अपने ज्ञान कौशलों को साझा करते हुए एक दूसरे का आकलन करते हुए सीखते हैं ।
शिक्षक Teacher– सहकारी/ सहयोगी अधिगमकर्ता (Cooperative Learner) होता है।
यानी शिक्षक ग्रुप का एक अन्य सदस्य होगा साथी (Friend) के रूप में रहेगा और सहकारी अधिगम को संपन्न कराएगा । ऐसे शिक्षक को वाइगोत्सकी नाम देते हैं- MKO
(3) MKO- More Knowledgeable other (अधिक संज्ञान वाला साथी)
सहकारी अधिगम की समूह गतिविधियों में हर एक सदस्य की दो भूमिका होती हैं Leading ( नेतृत्व देना) , Following ( अनुसरण करना) ग्रुप का जो सदस्य जिस क्षेत्र में अधिक नॉलेज रखता है उस क्षेत्र से संबंधित गतिविधि में वह नेतृत्व कर रहा होता है और बाकी सदस्य उसका अनुसरण कर रहे होते हैं। इसी नेतृत्वकर्ता को MKO कहते हैं
- वह व्यक्ति जो समूह में बालक से अधिक ज्ञान (knowledge) बोध (understanding) और कौशल (skills) रखता हो ।
- सामान्यतः MKO एक शिक्षक, कोच या वयस्क होता है लेकिन साथी , उम्र से छोटे व्यक्ति, यहां तक की किताबें, कंप्यूटर , रेडियो , टीवी आदि भी MKO की भूमिका निभा सकते हैं ।
(4) समीपस्थ विकास का क्षेत्र (ZPD- Zone of Proximal Developmental)
अधिगम का पूर्व स्तर (Pre level of learning) –
- हमें बच्चे के इस स्तर की पहचान होनी चाहिए क्योंकि बच्चे की जितनी भी लर्निंग होगी वह इसी स्तर से प्रारंभ होगी।
- यह अधिगम का वह स्तर है जिस स्तर की गतिविधि या समस्या बालकों को देने पर वह आसानी से इसको हल कर लेते हैं बिना किसी की सहायता के।
- बच्चा अधिगम के किस स्तर को प्राप्त कर चुका है इसकी पहचान के लिए हम स्थापना आकलन (Placement Assessment) करते हैं।
अधिगम का उत्तर स्तर (Post level of learning) / संभावित स्तर (Excepted level) –
- अधिगम का वह स्तर जिस स्तर तक हमें बालक को ले जाना है
- MKO की सहायता से ZPD मैं संपन्न हुई शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के बाद बालक जिस स्तर को प्राप्त करेगा वह अधिगम का उत्तर स्तर (Post level of learning) होगा।
पाठ्यक्रम के संदर्भ में ZPD –
पूर्व अधिगम स्तर और उत्तर अधिगम स्तर के मध्य का अधिगम क्षेत्र जहां समूह गतिविधि के दौरान वास्तविक अधिगम संपन्न होता है उसे ZPD कहते हैं ।
अधिगमकर्ता के संदर्भ में ZPD-
ZPD अधिगम का वह क्षेत्र है जहां अधिगमकर्ता MKO की सहायता से समूह क्रियाविधियों या प्रदत्त कार्य को करते हुए अधिगम को प्राप्त करता है।
शिक्षक के संदर्भ में ZPD-
ZPD अधिगम का वह क्षेत्र है जहां शिक्षक अधिगम प्रक्रियाओं के लिए योजना बनाता है गतिविधियों को डिजाइन करता है बालकों को सहायक संरचनाऐं (Scaffolding) प्रदान करता है इसलिए हम कह सकते हैं कि शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का नियोजन ZPD पर निर्भर करता है।
एक शिक्षक कक्षा में गया तो उसका सबसे पहला काम होगा अधिगम के पूर्व स्तर का पता लगाना स्थापना आकलन (placement assessment) का प्रयोग करके। वह अधिगम के पूर्व स्तर का पता लगायेगा फिर लर्निंग आउटकम्स और पाठ्यक्रम को देखकर अधिगम के उत्तर स्तर को चुनेगा जहां तक उसे बालक को ले जाना है। अधिगम के उत्तर स्तर को प्राप्त करने के लिए शिक्षक और छात्र जो कुछ भी करेंगे वह सब ZPD का हिस्सा होगा ।
जैसे– शिक्षक– योजना बनाना, गतिविधियों को डिजाइन करना , गतिविधियों को क्रियान्वित करवाना, सहायक संरचनाऐं (Scaffolding) प्रदान करना , रुपात्मक आकलन (Formative Assessment) करना।
विद्यार्थी– गतिविधियों में भाग लेना, प्रश्न पूछना, उत्तर देना, साथियों की सहायता करना आदि।
(5) सहायक संरचना/ पाढ़/ढांचा/मचान (Scaffolding) –
बालक के अधिगम को सहायता पहुंचाने के लिए वयस्कों/MKO के द्वारा दिये जाने वाले Temporary Support या Guidance या Helping Structures (सहायक संरचनाओं) को वाइगोत्सकी Scaffolding कहते हैं।
- दी जाने वाली Help Scaffolding कहलाती है और जो help देता है उसे MKO कहते हैं ।
(6) Reciprocal Teaching (पारस्परिक शिक्षण/ व्युत्क्रमणात्मक शिक्षण) –
- शिक्षण की यह विधि वाइगोत्सकी के सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत पर आधारित है। इस विधि का प्रयोग छात्रों के पाठवोध (Reading Comprehension) को बेहतर (Improve) करने के लिए किया जाता है।
- यह विधि छात्रों में पठन सामग्री (Text) से अधिकतम अधिगम (Maximum learning) प्राप्त करने की क्षमता विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण है ।
- इस विधि में पठन सामग्री से अवबोधन प्राप्त करने के लिए शिक्षक और अधिगमकर्ता सहकार (Collaborate) करते हैं।
इस विधि में चार पठन रणनीतियों (four reading strategies) का प्रयोग किया जाता है ।
- सार करना (Summarizing)
- प्रश्न पूछना (Questioning)
- स्पष्टीकरण (Clarifying)
- पूर्वानुमान करना (Predicting)
शिक्षक कुछ विद्यार्थियों का ग्रुप बनाता है जिसमें शिक्षक भी शामिल होगा । आदर्श समुह संख्या (3-6) 3 से कम में समूह नहीं बनेगा और 6 से ज्यादा में भीड़ हो जाएगी । शिक्षक सभी छात्रों को Text देता है सभी लोग ध्यान से पढ़ते हैं पढ़ने के बाद सभी लोगों को बारी- बारी से चार तरीके के रोल निभाने हैं – Summariser, Questioner , Clarifier, Predictor
- Summariser – पढ़े गए Text के सार को अपने शब्दों में सभी को बतायेगा इससे मुख्य जानकारी को पहचानने और समझने में मदद मिलती है।
- Questioner– पढ़े गए Text पर बहुत सारे प्रश्न बनाकर सभी लोगों से पूछेगा। प्रश्न specific detail या main idea या निष्कर्ष से संबंधित हो सकते हैं।
- Clarifier– इससे सभी छात्र पाठ के उन हिस्सों के बारे में स्पष्टीकरण मांगते हैं जो उन्हें भ्रमित कर रहे हैं। इसमें अस्पष्ट शब्दावली (vocabulary), अवधारणाओं (concepts) या बयानों (statements) पर सवाल उठाना शामिल हो सकता है।
- Predictor– यह बतायेगा कि आगे लेखक क्या कहना चाहता है जैसे यदि Text एक कहानी है तो आगे क्या घटना घटित होने वाली है आगे कहानी में क्या हो सकता है उसे प्रिडिक्ट करेगा।
बारी-बारी से ग्रुप के सदस्यों के रोल बदलते जाएंगे। पूरी प्रक्रिया के दौरान, शिक्षक की भूमिका छात्रों को छोटे समूह के भीतर चारो रणनीतियों का सफलतापूर्वक उपयोग करने की क्षमता का मार्गदर्शन और पोषण करना है। जैसे-जैसे छात्रों में कौशल विकसित होता है, शिक्षक की भूमिका कम हो जाती है।
सारांश– इस पोस्ट Vygotsky Theory in Hindi में हमने वाइगोत्सकी के सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत (Socio Cultural Theory) को समझा। जिसके अंतर्गत हमने Vygotsky के सामान्य परिचय, अंर्त-वैयक्तिक अधिगम (Interpersonal Learning), अंत: वैयक्तिक अधिगम (Intrapersonal learning) , वाइगोत्सकी की अधिगम और विकास की रूपरेखा, सहकारी / सहयोगात्मक अधिगम (Collaborative Learning) , एम० के० ओ० (MKO) , समीपस्थ विकास का क्षेत्र (ZPD- Zone of Proximal Development) , Scaffolding , Reciprocal teaching पर विस्तार से चर्चा की ।
इस पोस्ट से संबंधित यदि कोई भी टॉपिक आपको समझ में ना आया हो तो कमेंट में अवश्य बताएं मैं आपको समझाने का प्रयास करूंगा और इस पोस्ट के उस टॉपिक को अपडेट भी कर दूंगा। यदि आप वाइगोत्सकी के सिद्धांत से संबंधित प्रश्नों को प्राप्त करना चाहते हैं तो आप मेरे टेलीग्राम चैनल से जुड़ सकते हैं।
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इतना तो Vygotsky ने भी नहीं सोचा होगा
आंनद आ गया पढ़कर
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