सभी पाठकों को मेरा नमस्कार! , पिछली पोस्ट Theory of Jean Piaget in hindi part-2 में हमने संज्ञानात्मक विकास (Cognitive Development) और उससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण शब्दावलियों जैसे- मानसिक क्षमता (Mental capacity),संज्ञानात्मक क्षमता (Cognitive capacity), बौद्धिक क्षमता (Intellectual capacity) ,संज्ञान (cognition) ,स्कीमा (schema) ,संक्रियाएं (Operations) , नन्हे वयस्क अवधारणा आदि को विस्तार से समझा । आज इस पोस्ट में हम पियाजे द्वारा बताई गई Knowledge construction process ( ज्ञान निर्माण की प्रक्रिया) को विस्तार से समझेंगे और साथ ही पियाजे के द्वारा दी गई इन शब्दावलियों को भी विस्तार से समझेंगे।
- Equilibrium State ( साम्यावस्था )
- Disequilibrium State ( असंतुलन की अवस्था)
- Acquisition (अर्जन)
- Assimilation (समावेशन)
- Accommodation (समायोजन)
- Adaptation (अनुकूलन)
- Equilibration (सम्यधारण)
Note- इन सभी शब्दावलियों को आप इंग्लिश में ही याद रखने का प्रयास करें क्योंकि हिंदी में इन शब्दावलियों के लिए अलग-अलग शब्द प्रयोग किए जाते हैं हिंदी में याद रखने पर आप हमेशा कंफ्यूज होते रहेंगे इसलिए इंग्लिश में ही याद रखें ।
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ज्ञान निर्माण की प्रक्रिया। Knowledge construction process –
ज्ञान निर्माण क्या है? What is Knowledge construction?
सबसे पहले प्रश्न उठता है कि ज्ञान क्या है बिल्कुल साधारण भाषा में कहें तो ज्ञान सूचनाऐं हैं यानी किसी चीज के बारे में जितनी भी सूचनाऐं हो सकती हैं यदि वह हमारे पास है तो हम कह सकते हैं कि हमें उस चीज का पूर्ण ज्ञान है।
यह सूचनाऐं हमें प्राप्त कैसे होती हैं?- हमारी ज्ञानेंद्रियों से। फिर यह सूचनाऐं हमारे मस्तिष्क के पास आती हैं और मस्तिष्क इन सूचनाओं का प्रक्रमण (processing) करता है और उन पर प्रतिक्रिया देता है। साथ ही इस प्रक्रमण (process) को ज्ञान संरचनाओं के रूप में व्यवस्थित करके स्टोर कर लेता है। ताकि जब ऐसी ही स्थिति दोबारा आए तो उसे फिर से प्रोसेसिंग ना करनी पड़े और वह पहले से Processed data का प्रयोग कर ले। मस्तिष्क द्वारा स्टोर की गई इन्हीं व्यवस्थित ज्ञान संरचनाओं को पियाजे ने स्कीमा कहा था। और इन्हीं ज्ञान संरचनाओं को व्यवस्थित करना इनका पुनर्गठन करना और इनमें वृद्धि करना ज्ञान निर्माण है।
“ स्कीम का प्रगतिशील गठन (Organization), पुनर्गठन (Reorganization) और वृद्धि (Increment) ज्ञान निर्माण है”
इस इमेज को ध्यान से देखें और समझने का प्रयास करें साथ ही आगे पढ़ते हुए भी देखते जाये।
ज्ञान निर्माण की प्रक्रिया (Knowledge construction process)
पहले हम ऊपर दिए गए Flow chart को समझने का प्रयास करते हैं । बालक जब भी किसी परिस्थिति में जाता है तो वह अपने पूर्व निर्मित स्कीमा के आधार पर उस परिस्थिति को समझने का प्रयास करता है यदि वह उसे समझ जाता है तो वह संतुलन की व्यवस्था (Equilibrium state) में रहता है यदि वह उसे नहीं समझ पा रहा है यानी परिस्थिति उसके लिए नई है तो वह असंतुलन की अवस्था (Disequilibriumstate) में पहुंच जाता है
ऐसी स्थिति में उसका मस्तिष्क जिज्ञासा मूल प्रवृत्ति के साथ साम्यधारण (Equilibration) की प्रक्रिया के अंतर्गत ज्ञान का अर्जन (Acquisition) करता है। अर्जन की प्रक्रिया में वह दो तरीकों का प्रयोग करता है समावेशन (Assimilation) और समायोजन (Accommodation) ।
इस तरह वह अर्जन के दोनों तरीकों का प्रयोग करके अपने आप को परिस्थिति के अनुसार अनुकूलित (Adapt) कर लेता है यानी – अनुकूलन (Adaptation)
अब हम इस Flow chart में प्रयोग हुए सभी शब्दों को एक-एक करके डिटेल में समझेंगे ।
Equilibrium State ( साम्यावस्था/ संतुलन की अवस्था) –
बालक जब किसी परिस्थिति में जाता है और वह वास्तविकता (Reality) को अपने पूर्व स्कीमा के आधार पर Explain/Understand कर पता है तब वह संतुलन की अवस्था में रहता है पियाजे मस्तिष्क की इस अवस्था को साम्यावस्था (Equilibrium state) कहते हैं।
Disequilibrium state (असंतुलन की अवस्था)-
जब पूर्व निर्मित स्कीमा वास्तविकता की व्याख्या या कार्यात्मकता या कार्य संपादन हेतु पर्याप्त नहीं है तो हमारा मस्तिष्क जिज्ञासा मूल प्रवृत्ति के साथ एक सक्रिय उत्तेजित अवस्था में संज्ञानात्मक प्रक्रमण करता है पियाजे इस उत्तेजित अवस्था को असंतुलन की अवस्था (Disequilibrium state) कहते हैं।
Acquisition (अर्जन) –
ज्ञान इंद्रियों के माध्यम से सूचनाओं को प्राप्त करके स्कीमा निर्माण की प्रक्रिया अर्जन की प्रक्रिया है।
अर्जन की प्रक्रिया में दो तरीको से होती हैं-
(1) Assimilation (समावेशन)
(2) Accommodation (समायोजन)
Note- हिंदी भाषा में इन दोनों शब्दों के लिए बहुत से अलग-अलग शब्द प्रयोग किए जाते हैं इसलिए आप लोग इंग्लिश शब्द ही याद रखें।
(1) Assimilation (समावेशन)–
इसकी तीन स्थितियां हो सकती हैं
- पूर्व निर्मित स्कीमा के आधार पर बालक वास्तविकता की व्याख्या या किसी कार्य को संपन्न कर दें।
- पूर्व निर्मित स्कीमा में कोई नई जानकारी जोड़ लेना।
- नई सूचनायें आये और हम पूर्व निर्मित स्कीमा के अनुसार इन सूचनाओं को परिवर्तित करके प्रयोग करें न कि अपने स्कीमा में कोई परिवर्तन करें।
अब हम इन तीनों स्थितियों को एक-एक उदाहरण से समझते हैं-
- बालक ने पहली बार एक सफेद कुत्ता देखा उसकी मां ने उसे बताया यह कुत्ता है यही कुत्ता जब उसे दोबारा दिखता है तो बालक उसको कुत्ता बोलता है। यानी उसने अपने पूर्व निर्मित स्कीमा का प्रयोग किया है तो यह Assimilation की पहली स्थिति है।
- बालक अगली बार एक काला कुत्ता देखा है तो वह उसको भी कुत्ता बोलता है यानी यहां उसने अपने स्कीम में एक नई सूचना जोड़ ली की कुत्ता काले रंग का भी होता है। यह Assimilation की दूसरी स्थिति है।
- कुछ दिन बाद बालक एक बछड़ा देखता है और कहता है देखो यह कितना बड़ा कुत्ता है यानी इस स्थिति में उसने अपने स्कीम में परिवर्तन नहीं किया बल्कि आने वाली सूचना में परिवर्तन कर लिया बछड़े को बड़ा कुत्ता बता कर यह Assimilation की तीसरी स्थिति है ।
(2) Accommodation ( समायोजन) –
- वास्तविकता की व्याख्या करने या कार्यात्मक प्रदर्शन हेतु या कार्य संपादन हेतु पूर्व निर्मित स्कीमा में परिवर्तन करना।
- नई सूचनाओं की प्राप्त के कारण या परिस्थिति की मांग के कारण प्रयोग हेतु पूर्व निर्मित स्कीम में परिवर्तन करना Accommodation कहलाता है ।
Example- जब बच्चा बछड़े को बड़ा कुत्ता बोल रहा होगा तो उसके बड़े उसको रोकेंगे और बताएंगे कि यह कुत्ता नहीं है यह बछड़ा है तब बालक अपने पूर्व निर्मित स्कीमा मैं परिवर्तन करके जोड़ लेगा की बड़ा सा चार पैरों वाला जानवर कुत्ता नहीं बछड़ा होता है। फिर बालक बछड़े को कुत्ते वाले स्कीमा से अलग करके बछड़े के लिए नया स्कीम बना लेगा।
यानी Assimilation में हम स्कीमा में कुछ जोड़ रहे होते हैं और Accommodation में स्कीमा को ही परिवर्तित कर रहे होते हैं।
Adaptation (अनुकूलन) –
किसी भी परिस्थिति में यदि बालक समावेशन (Assimilation) या समायोजन (Accommodation) या दोनों (Assimilation+Accommodation) प्रक्रियाओं का प्रयोग करते हुए परिस्थिति की व्याख्या या कार्यात्मक प्रदर्शन या कार्य का निष्पादन करता है।
Equilibration (साम्यधारण / समाविष्टीकरण)-
- वह प्रक्रिया जिसके द्वारा मस्तिष्क की उत्तेजित अवस्था को वापस साम्यावस्था (संतुलन की अवस्था) में लाया जाता है।
- साम्यधारण वह संज्ञानात्मक प्रक्रमण है जो जिज्ञासा मूल प्रवृत्ति के द्वारा प्रेरित होता है तथा जहां संज्ञान नई परिस्थिति या नई वास्तविकता को समझने और व्याख्या करने का प्रयास करता है। इस प्रक्रिया का परिणाम स्कीमा का गठन या ज्ञान का निर्माण होता है।
- पियाजे ने साम्यधारण (Equilibration) को ‘अधिगम का चालक इंजन’ कहां है क्योंकि यह सभी प्रकार के अधिगम की मूलभूत प्रक्रिया है।
सारांश- आज की इस पोस्ट में हमने पियाजे द्वारा दी गई ज्ञान निर्माण की प्रक्रिया (Knowledge construction process) और उससे जुड़ी शब्दावली – Equilibrium State ( साम्यावस्था ) , Disequilibrium State (असंतुलन की अवस्था) , Acquisition (अर्जन), Assimilation (समावेशन) , Accommodation (समायोजन) , Adaptation (अनुकूलन) , Equilibration (सम्यधारण) को विस्तार से समझा। Part-4 मैं हम पियाजे की Stage theory of cognitive development (संज्ञानात्मक विकास का अवस्था सिद्धांत) को विस्तार से समझेंगे। और इस सीरीज के लास्ट भाग Part-5 मैं हम इस सिद्धांत से संबंधित सभी परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों को एक साथ दिखेंगे ।
Note- इस पोस्ट का कोई भी भाग यदि आपको ना समझ आया हो तो कृपया कमेंट करके अवश्य बताएं मैं आप सभी के कॉमेंट्स का रिप्लाई दूंगा और पोस्ट के उस भाग को अपडेट भी कर दूंगा।
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Good work
Thank you
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Bahut Axa content hai 💯
Thank you
This content is very helpful for all teaching exam. Very good. Keep it up.
Thank you
Bahut badhiya hai
Thank you for appreciation
धन्यवाद दोस्त, तुमने बहुत अच्छे से समझाया
Thank you!
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बहुत ही सहज रूप से समझाया , मुझे इससे बेहतर कहीं और कंटेंट नहीं मीला।
धन्यवाद।