सभी पाठकों को मेरा नमस्कार! आज हम इस पोस्ट RTE Act 2009 In Hindi के माध्यम से शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 को विस्तार से समझेंगे। हम इस पोस्ट में आरटीई एक्ट क्या है?, प्रारंभिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण क्या है?, आरटीई एक्ट की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, 86 वां संविधान संशोधन 2002 , आरटीई एक्ट की सभी धाराओं, छात्र शिक्षक अनुपात, शिक्षक के कार्य दिवस और घंटे , RTE Act 2009 में किए गए संशोधनों आदि को विस्तार से समझेंगे।
इसे भी पढ़ें- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986
RTE Act 2009 का पूरा नाम-
अक्सर हम लोग RTE Act 2009 का फुल फॉर्म शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (Right to Education Act 2009) समझ लेते हैं लेकिन वास्तव में आरटीई एक्ट 2009 का पूरा नाम निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 ( Right of Children to free and compulsory Education Act 2009) है ।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (RTE Act 2009) क्या है? –
- RTE Act 2009 प्रारंभिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमारे देश की सरकार द्वारा उठाया गया सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
- यह एक अधिनियम है जिसका उद्देश्य 6 से 14 वर्ष के बालकों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान करना है।
- 86 वें संविधान संशोधन द्वारा शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार तो बना दिया गया लेकिन यह अधिकार प्रत्येक बालक को कैसे प्राप्त होगा , किसकी जवाबदेही होगी; केंद्र सरकार ,राज्य सरकार , स्थानीय प्राधिकारियों , अभिभावकों, शिक्षकों के क्या उत्तरदायित्व होंगे इन सब को तय करने के लिए RTE Act 2009 लाया गया।
प्रारंभिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण (सार्विकीकरण) की अवधारणा तथा आवश्यकता-
प्रारंभिक शिक्षा के अंतर्गत 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों की शिक्षा आती है। यानी प्रथम कक्षा से आठवीं कक्षा तक की शिक्षा। जिसमें कक्षा एक से कक्षा 5 तक की शिक्षा निम्न प्राथमिक तथा कक्षा 6 से कक्षा 8 तक की शिक्षा उच्च प्राथमिक शिक्षा कहलाती है। प्रारंभिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण से अभिप्राय है कि प्रारंभिक शिक्षा को देश के प्रत्येक बच्चे के लिए उपलब्ध कराना , चाहे वे बच्चे किसी भी जाति, धर्म, रेस , लिंग अथवा सामाजिक आर्थिक स्थिति से संबंधित हो।
शिक्षा सभी प्रकार के मानव विकास व प्रगति का आधार होती है। यह सभी मानव समस्याओं के प्रति सर्वाधिक प्रभावशाली हथियार है। शिक्षा के अभाव में मानव जीवन अर्थ विहीन हो जाता है। यह शिक्षा ही है जिसके माध्यम से व्यक्ति उस ज्ञान तथा उन कौशलों को प्राप्त करते हैं जिनसे वह एक सार्थक जीवन व्यतीत करने योग्य बनते हैं। यानी हम कह सकते हैं की गरिमा में जीवन जीने के लिए किसी व्यक्ति का शिक्षित होना अति आवश्यक है।
RTE Act 2009 की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि-
- कोल्हापुर महाराष्ट्र के छत्रपति शाहूजी महाराज ने सन् 1902 में 6 वर्ष से 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा संबंधी अधिनियम पहले ही तैयार कर दिया था तथा लागू भी कर दिया था।
- भारत में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की सर्वप्रथम मांग गोपाल कृष्ण गोखले के द्वारा की गई जिन्होंने 18 मार्च 1910 को इंपीरियल लेजिस्लेटिव असेंबली में इसका प्रस्ताव रखा लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया।
- सन् 1918 में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने प्रारंभिक शिक्षा को एक अधिनियम पारित करवा कर मुंबई के सभी नगर परिषदों में निशुल्क और अनिवार्य कर दिया था।
- 22-23 October 1937 को महाराष्ट्र के वर्धा में अखिल भारतीय शैक्षिक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसे वर्धा योजना के नाम से भी जाना जाता है। यहीं से महात्मा गांधी ने नई तालीम/ बुनियादी शिक्षा को शुरू किया। वर्धा योजना ने भी बच्चों के लिए निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का समर्थन किया। गांधी जी ने कहा जिस प्रकार निशुल्क वायु तथा जल पर प्रत्येक नागरिक का अधिकार है, उसी प्रकार प्रत्येक बच्चे के लिए निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराई जानी चाहिए ; और बच्चे के कल्याण का ध्यान रखना समाज और सरकार दोनों का कर्तव्य है।
- सार्जेंट योजना 1944– सरकार के शिक्षा सलाहकार सर जॉन सार्जेंट के अध्यक्षता में यह योजना आई जिसमें 6 से 11 वर्ष के बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने पर बल दिया गया।
- 26 नवंबर 1949 को जब हमारा संविधान बनकर तैयार हुआ तो हमारे संविधान के भाग-4 में नीति निर्देशक तत्वों के अनुच्छेद 45 में यह प्रावधान था कि , “राज्य 10 वर्ष के अंतर्गत जन्म से 14 वर्ष के बालकों की देखरेख बड़ा निशुल्क के वनिवार्य शिक्षा कॉमर्स स्वास्थ्य को सुनिश्चित करेगा।”
- कोठारी आयोग (1964-66) और भारत की प्रथम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 दोनों में 14 वर्ष के बालकों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा देने पर बोल दिया गया। साथ ही पूरे भारत में सभी के लिए (लड़का + लड़कियां) एक समान पाठ्यक्रम और एक समान स्कूल प्रणाली (Common School System) का प्रस्ताव रखा गया।
- कोठारी आयोग और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 दोनों ने कहा था कि केंद्र सरकार को ज्यादा जिम्मेदारी लेनी होगी शिक्षा में क्योंकि राज्य शिक्षा का भार बहन नहीं कर पा रहे हैं यदि गुणवत्ता मूलक शिक्षा चाहिए और पूरे भारत में एक समान पाठ्यक्रम चाहिए तो केंद्र को दखल देना ही पड़ेगा।
- 42 में संविधान संशोधन 1976 के द्वारा भारतीय संविधान में संशोधन कर शिक्षा को समवर्ती सूची का विषय बनाया गया। 1976 से पहले शिक्षा राज्य सूची का विषय थी। शिक्षा के समवर्ती सूची में जुड़ने से शिक्षा से संबंधित विषयों पर राज्य और केंद्र दोनों सरकारों को कानून बनाने का अधिकार मिल गया।
- सन् 1992 में बालक के अधिकार का संयुक्त राष्ट्र समझौता ( United Nations convention on rights of the child) हुआ । यहां पर शिक्षा के अधिकार (Right to education) की बात की गई और इस जीवन के अधिकार (Right to life) के समान माना गया । भारत ने भी इसे साइन किया।
- सन् 1992 में उत्तर प्रदेश की निवासी मोहिनी जैन ने कर्नाटक सरकार की एक अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। मोहिनी जैन बनाम कर्नाटक सरकार केस में सुप्रीम कोर्ट ने यह माना की शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।
- सन् 1993 में जे० पी० उन्नीकृष्णन बनाम आंध्रप्रदेश सरकार केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षा का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन के अधिकार में सन्निहित है। सुप्रीम कोर्ट यह मानता है और राज्य को निर्देश देता है कि केंद्र और राज्य यह सुनिश्चित करें कि यह अधिकार अनुच्छेद- 21 के तहत पूरा हो सके, इसके लिए प्रावधान किए जाएं।
- सन् 1997 में शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने के लिए पहली बार लोकसभा में संविधान संशोधन बिल पेश किया गया और इस पर बहस हुई। पर यह बिल पास नहीं हो पाया क्योंकि सरकार बदल गई थी। सन् 2002 में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में यह बिल पास हुआ।
86 वां संविधान संशोधन 2002-
86 वे संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा अनुच्छेद-21(A) को जोड़ा गया और अनुच्छेद-45 में संशोधन किया गया तथा अनुच्छेद 51(A) में संशोधन कर धारा (K) को जोड़ा गया।
अनुच्छेद-21(A) – राज्य को 6 से 14 वर्ष तक के सभी बालकों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करनी होगी।
अनुच्छेद-45 – राज्य सभी 6 वर्ष तक के बच्चों को प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल तथा शिक्षा [Early childhood care and education (ECCE)] को प्रदान करना सुरक्षित करेगा।
अनुच्छेद-51(A) – अनुच्छेद 51(a) में संशोधन करके 11 वां मौलिक कर्तव्य धारा (K) को जोड़ा गया।
धारा (K)– यह माता-पिता या अभिभावकों का उत्तरदायित्व है कि वह अपने 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा के अवसर उपलब्ध करवाएंगे।
Note– दिव्यांगजन अधिनियम 2016 (RPWD Act 2016) के द्वारा अनुच्छेद 21(A) के अर्थ को व्यापक करते हुए विशिष्ट बच्चों (Special child) के लिए 6 से 18 वर्ष तक निशुल्क अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया।
86 वें संविधान संशोधन के द्वारा शिक्षा का अधिकार तो दे दिया गया पर यदि बच्चों को यह अधिकार नहीं मिला तो किसकी जवाबदेही होगी , किसको सजा दी जाएगी, अधिकार प्रदान करते समय किसके क्या-क्या कर्तव्य होंगे इसको सुनिश्चित करने के लिए RTE Act 2009 लाया गया।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (RTE Act 2009 in hindi) से संबंधित महत्वपूर्ण तिथियां-
- 20 जुलाई 2009 को आरटीई बिल को राज्यसभा द्वारा मंजूरी प्रदान की गई।
- 4 अगस्त 2009 को आरटीई बिल को लोकसभा में मंजूरी प्रदान की गई।
- 26 अगस्त 2009 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा आरटीई बिल पर हस्ताक्षर किए गए।
- 1 अप्रैल 2010 को निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 जम्मू कश्मीर राज्य को छोड़कर संपूर्ण भारत में लागू कर दिया गया।
- राजस्थान राज्य के संदर्भ में 29 मार्च 2011 को राजस्थान विधानसभा सभा द्वारा RTE Act 2009 पर एक संशोधन प्रस्ताव पारित किया गया। जो 1 अप्रैल 2011 से ‘राजस्थान निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियम 2011’ के नाम से लागू किया गया।
निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009-
RTE Act की संरचना-
- कुल अध्याय – 7
- कुल धाराएं – 38
- अनुसूची – 1
- सबसे बड़ा अध्याय – 4 (धारा 12-28)
अध्याय-1 प्रस्तावना (Preliminary)
धारा-1
इस धारा में आरटीई एक्ट (RTE Act) के टाइटल को दर्शाया गया है।
Tittle– निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (Right of Children to free and compulsory Education Act 2009)
साथ ही इस धारा में यह प्रावधान किया गया कि यह अधिनियम 1 अप्रैल 2010 को जम्मू कश्मीर राज्य को छोड़कर संपूर्ण भारत में लागू किया जाएगा। लेकिन यह अधिनियम मदरसो, वैदिक पाठशालाओं , धार्मिक प्रशिक्षण देने वाले विद्यालयों में लागू नहीं होगा।
धारा-2
धारा 2 में इस अधिनियम से संबंधित कई परिभाषाओं का उल्लेख किया गया। जैसे-
- समुचित सरकार– समुचित सरकार में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय निकाय आते हैं।
- अभावग्रस्त बालक– जिन बालकों के माता-पिता की आय कम होती है। जिनके माता-पिता उनकी बुनियादी आवश्यकताऐं पूरी नहीं कर पाते।
- स्थानीय अभिभावक– वे स्थानीय नागरिक जिनके बालक सरकारी विद्यालय में पढ़ते हैं।
- विद्यालय– चार तरीके के विद्यालयों को शामिल किया गया है। सरकारी विद्यालय, निजी विद्यालय, ट्रस्ट के अधीन विद्यालय, विशेष श्रेणी के विद्यालय
- बालक- 6 वर्ष से 14 वर्ष तक का बच्चा
- प्रारंभिक शिक्षा- कक्षा 1 से कक्षा 8 तक की शिक्षा
अध्याय-2 निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (Right to Free and Compulsory Education)
धारा-3
इस धारा में प्रावधान किया गया है कि 6 से 14 वर्ष का कोई भी बालक हो उसका यह अधिकार होगा कि वह पड़ोस के विद्यालय में निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करें । इसकी व्यवस्था समुचित सरकार के द्वारा की जाएगी।
Note- दिव्यांगजन अधिनियम 2016 (RPWD Act 2016) के तहत इस धारा में संशोधन कर दिव्यांग जनों के लिए निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की आयु को बढ़ाकर 6 से 18 वर्ष कर दिया गया।
धारा-4
इस धारा में यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई बालक किसी कारणवश शिक्षा की मुख्य धारा से अपने आप को हटा लेता है तो मुख्य धारा से हटे बालक को स्थानीय प्रशासन, विद्यालय प्रशासन और स्थानीय अभिभावक यह तीनों मिलकर समुचित एवं समन्वित प्रयास करते हुए उस बालक को शिक्षा की मुख्य धारा में जोड़ने का प्रयास करेंगे।
पर बालक को उसकी आयु के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा चाहे बच्चे का अधिगम स्तर कैसा भी हो। उदाहरण के लिए यदि बालक की आयु 10 वर्ष है तो उसे धारा 4 के प्रावधानों के अनुसार कक्षा 5 में प्रवेश दिया जाएगा। यानी यह धारा आयु आधारित दाखिले ( Age based admission) का प्रावधान करती है।
Note- धारा 4 के प्रावधानों को पूरा करने से आये शैक्षणिक स्तर के अंतर को कम करने के लिए ब्लाक/ खंड स्तर पर 6 माह के एक ब्रिज कोर्स का आयोजन करवाया जाएगा।
धारा-5
इस धारा में प्रावधान किया गया है कि यदि कोई भी बालक प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने के दौरान विद्यालय का स्थानांतरण करता है तो विद्यालय स्थानांतर के साथ-साथ बालक के सभी अधिकारों का भी स्थानांतरण किया जाएगा।
अध्याय-3 समुचित सरकार , स्थानीय प्राधिकारियों और अभिभावकों के कर्तव्य (Duties of Appropriate Government, Local Authority and Parents)
धारा-6 विद्यालयों की स्थापना
समुचित सरकार का यह उत्तरदायित्व है कि वह समय स्थान स्थिति के अनुसार विद्यालयों की स्थापना करें।
- प्रत्येक 1 किलोमीटर से 1.5 किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक विद्यालय खोला जाए।
- प्रत्येक 2 किलोमीटर से 2.5 किलोमीटर के दायरे में उच्च प्राथमिक विद्यालय खोला जाए।
धारा-7
इस धारा में केंद्र और राज्यों का वित्तीय अनुपात दर्शाया गया है।
- जिसमें केंद्र व राज्य का वित्तीय अनुपात- 60:40
- पूर्वोत्तर राज्यों के लिए केंद्र व राज्य का वित्तीय अनुपात – 90:10
Note- वर्ष 2018 से पूर्व 90:10 का वित्तीय अनुपात सिर्फ सात पूर्वोत्तर राज्यों को ही प्राप्त था। 1 अप्रैल 2018 में संसदीय संशोधन के बाद हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को भी इसमें जोड़ दिया गया।
धार-8
इस धारा में समुचित सरकार के अधिकारों और कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है।
धारा-9
इस धारा में समुचित सरकार के अधिकारी वर्ग के अधिकारों तथा कर्तव्यों का उल्लेख किया गया।
धारा-10
इस धारा में स्थानीय अभिभावकों और माता-पिता के उत्तरदायित्वों का उल्लेख किया गया है।
धारा-11
इस धारा के अनुसार जन्म से 6 वर्ष तक के बालक बालिकाओं की देखभाल एवं शिक्षा की व्यवस्था समुचित सरकार का दायित्व होगा।
यानी यह धारा विद्यालय पूर्व शिक्षा (Pre school education) से संबंधित है।
अध्याय 4 विद्यालयों और शिक्षकों के उत्तरदायित्व (Responsibilities of school and teachers)
धारा-12
यह धारा समस्त निजी शिक्षण संस्थानों को यह आदेशित करती है कि वह अपने विद्यालय की कक्षा प्रथम की कुल छात्र संख्या का 25% आरक्षण निर्धन बच्चों हेतु रखेंगे। जिन अभिभावकों की वार्षिक आय 2 लाख से कम हो।
Note- इस आरक्षण का लाभ कक्षा एक में प्रवेश लेने वाले छात्रों को ही मिलेगा और यह लाभ कक्षा 8 तक चलेगा। कक्षा एक के अलावा किसी अन्य कक्षा में प्रवेश लेने पर यह लाभ प्राप्त नहीं होगा। जिन बच्चों को कक्षा एक में आरक्षण का लाभ प्राप्त हो चुका है उन्हें यह कक्षा 8 तक लगातार प्राप्त होता रहेगा।
धारा-13
RTE Act 2009 की धारा 13 में प्रावधान किया गया है कि प्रवेश के समय बालक से किसी भी प्रकार का शिक्षण शुल्क / प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाएगा। साथ ही प्रवेश देते समय किसी भी प्रकार की अनुवीक्षण प्रक्रिया (प्रवेश परीक्षा) नहीं होगी।
धारा-14
प्रवेश के समय बालक से किसी भी प्रकार के दस्तावेज की मांग नहीं की जाएगी। ( यानी डॉक्यूमेंट के अभाव में बालक के प्रवेश को नहीं रोका जाएगा)
धारा-15
RTE Act 2009 की धारा 15 में यह प्रावधान किया गया है कि बालक के प्रवेश की अंतिम तिथि 30 सितंबर है किंतु फिर भी बालक संपूर्ण वर्ष के दौरान कभी भी प्रवेश प्राप्त कर सकता है।
धारा-16 कक्षा में ना रोकने की नीति (None detention policy)
इस धारा में प्रावधान किया गया है कि प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण होने तक बालक का किसी भी स्तर पर ठहराव या अवरोधन नहीं किया जाएगा। यानी कोई भी बच्चा किसी कक्षा में फेल हो या पास आप उसे उस कक्षा में रोक नहीं सकते हैं बच्चा अगली कक्षा में जाएगा।
धारा-17
यह धारा बालक को शारीरिक दंड और मानसिक प्रताड़ना पर प्रतिबंध लगाती है।
धारा-18
यदि कोई विद्यालय सरकार द्वारा तय किए गए मानकों को पूरा करता है तो उसे अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC- none objection certificate) दिया जाएगा। यानी मान्यता प्रदान की जाएगी।
धारा-19
कोई भी विद्यालय समुचित सरकार के परिवर्तित मानकों को पूरा नहीं करता है तो उसे विद्यालय की मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
धारा-20
समुचित सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि वह विद्यालय स्थापना के लिए तय किए गए मानकों में परिवर्तन कर सकती है।
धारा-21
प्रत्येक विद्यालय में एक विद्यालय प्रबंधन समिति ( SMC- school management committee) का गठन किया जाएगा। यह समिति विद्यालय का प्रबंधन और नियंत्रण करने का कार्य करेगी।
वर्तमान में विद्यालय प्रबंधन समिति में 16 सदस्य होते हैं। जिनमें से 50% महिलाएं होनी चाहिए और 16 सदस्यों में से 75% सदस्य अभिभावक होने चाहिए। यानी 12 सदस्य अभिभावक होंगे और बचे हुए 4 सदस्यों में प्रधानाध्यापक, एक शिक्षक (महिला को प्राथमिकता) , एक विद्यार्थी (महिला को प्राथमिकता) , ग्राम प्रधान होगे।
विद्यालय प्रबंधन समिति का अध्यक्ष कोई अभिभावक होगा और सचिव प्रधानाध्यापक होगा। यह समिति 2 वर्ष के लिए गठित की जाती है।
धारा- 22
इस धारा के अनुसार प्रत्येक शाला प्रधान का यह दायित्व होगा कि वह सत्र प्रारंभ होने से पूर्व अपने प्रारंभिक स्तर की शिक्षा में सुधार करने के लिए अल्पकालिक प्रपत्र में वार्षिक विद्यालय विकास योजना का प्रारूप तैयार करेगा जिसे संस्थागत नियोजन कहा जाता है।
धारा- 23
इस धारा में शिक्षकों की भर्ती हेतु अहर्ताएं तथा सेवा के नियम और शर्तों का उल्लेख किया गया है। शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) इसी धारा के तहत ली जाती है।
धारा- 24
इस धारा में शिक्षकों के दायित्व और कर्तव्यों का वर्णन किया गया है।
धारा-25 छात्र शिक्षक अनुपात (PTR- Pupil teacher ratio)
RTE Act 2009 कि धारा-25 में छात्र शिक्षक अनुपात (PTR- pupil teacher ratio) का उल्लेख किया गया है। छात्र शिक्षक अनुपात को मेंटेन रखने का उत्तरदायित्व समुचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारियों का है। इस पोस्ट में आगे हमने छात्र शिक्षक अनुपात पर विस्तार से बात की है जहां सीधे पहुचने के लिए आप यहां के लिए कर सकते हैं।
धारा-26
किसी भी विद्यालय में 10% से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त नहीं होने चाहिए।
धारा-27
इस धारा में यह प्रावधान किया गया है कि कोई भी अध्यापक शिक्षण के अतिरिक्त केवल इन तीन राष्ट्रीय महत्व के कार्यों को करेगा-
(1) जनगणना (2) निर्वाचन कार्य (3) आपदा तथा राहत कार्य
धारा-28
कोई भी शिक्षक निजी शिक्षण या प्राइवेट ट्यूशन नहीं करवायेगा।
अध्याय-5 प्राथमिक शिक्षा का पाठ्यक्रम और पूरा किया जाना (Curriculum and Completion of Elementary Education)
धारा-29
इस धारा में पाठ्यक्रम निर्माणकर्ताओं के अधिकारों एवं कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है। प्रारंभिक शिक्षा के पाठ्यक्रम मे कोई परिवर्तन किया जाता है तो समाचार पत्रों में लिखित में अधिसूचना जारी होगी और सभी प्रकार के विद्यालयों में वह सूचना पहुंचाई जाएगी ।
धारा-30
इस धारा में यह प्रावधान किया गया है कि प्रारंभिक शिक्षा को पूर्ण करने तक किसी भी प्रकार की बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन नहीं किया जाएगा । प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण होने पर सभी बच्चों को समापन प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
अध्याय-6 बालकों के अधिकारों का संरक्षण (protection of rights children)
धारा-31
बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 3 के अनुसार बालकों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR- National Commission for Protection of Child’s Rights) का गठन किया जाएगा।
धारा-32
बाल अधिकारों से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए एक तंत्र तैयार किया जाएगा।
धारा-33
इस अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन के लिए केंद्र सरकार को सलाह देने के लिए राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (NAC- National Advisory Committee) का गठन किया जाएगा।
धारा-34
इस अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार को सलाह देने के लिए राज्य सलाहकार परिषद (SAC- State Advisory Committee) का गठन किया जाएगा।
अध्याय -7 प्रकीर्णन (Miscellaneous)
धारा-35
यह धारा केंद्र सरकार को इस अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए समुचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारियों को दिशा निर्देश जारी करने का अधिकार देती है।
धारा-36
विद्यालय प्रति व्यक्ति फीस , विद्यालय प्रवेश परीक्षा, बिना मान्यता के स्कूल चलना, मान्यता समाप्त होने के बाद भी स्कूल चलाने वालों के विरुद्ध उस समय तक कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी जब तक की सरकार द्वारा तय संबंधित अधिकारी से अनुमति न ली जाए।
धारा-37
यह धारा समुचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारियों को सदभावनापूर्वक की गई कार्यवाही के लिए कानूनी मुकदमे या कार्रवाई के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करती है । यानी यदि वो किसी काम को सद्भावना से करते हैं तो उन पर कार्रवाई नहीं होगी।
धारा-38
यह धारा समुचित सरकार को नियम बनाने अधिसूचना जारी करने की शक्ति प्रदान करती है।
RTE Act 2009 के अनुसार छात्र शिक्षक अनुपात –
कृपया इस चीज को ध्यान से समझे क्योंकि इससे संबंधित बहुत सारी भ्रांतियां फैलाई गई हैं। वास्तव में आरटीई एक्ट 2009 (RTE Act 2009) मे किसी तरह के फिक्स छात्र शिक्षक अनुपात की बात नहीं की गई है। आरटीई एक्ट ने जिस तरह से छात्र शिक्षक अनुपात पर बात की है मैं उसी तरीके से आपको समझाने का प्रयास करता हूं।
(1) प्राथमिक कक्षाओं के लिए छात्र शिक्षक अनुपात-
छात्र | शिक्षक |
60 तक | दो |
61-90 के मध्य | तीन |
91-120 के मध्य | चार |
121-200 के मध्य | पॉच |
150 छात्रों से ऊपर | पॉच+ एक प्रधान अध्यापक |
200 से ज्यादा छात्र | छात्र शिक्षक अनुपात 40:1 से ज्यादा नहीं होना चाहिए (प्रधान अध्यापक को छोड़कर) |
इस तालिका को देखकर आपको समझ आ गया होगा कि प्राथमिक कक्षाओं के लिए कोई निश्चित छात्र शिक्षक अनुपात आरटीई एक्ट 2009 ने नहीं दिया है।
Note– जितनी भी परीक्षाओं में यह प्रश्न पूछा गया है उनमें प्राथमिक कक्षाओं के लिए छात्र शिक्षक अनुपात (30:1) को सही माना गया है।
(2) उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए छात्र शिक्षक अनुपात-
(1) प्रत्येक कक्षा के लिए कम से कम एक शिक्षक हो। साथ ही निम्न विषयों के लिए कम से कम एक शिक्षक हो।
- विज्ञान और गणित
- सामाजिक अध्ययन
- भाषा
(2) प्रत्येक 35 छात्रों पर काम से कम एक शिक्षक हो (35:1)
(3) जहां 100 से ज्यादा छात्रों को प्रवेश दिया गया है वहां-
- एक पूर्ण कालिक प्रधान अध्यापक होना चाहिए।
- अंशकालिक निर्देश (Instructor) – (A) कला शिक्षा (B) स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा (C) कार्य शिक्षा
RTE Act 2009 के अनुसार एक शैक्षणिक वर्ष में कार्य दिवस की न्यूनतम संख्या-
- कक्षा 1 से कक्षा 5 तक- 200 कार्य दिवस
- कक्षा 6 से कक्षा 8 तक- 220 कार्य दिवस
एक शैक्षणिक वर्ष में अनुदेशन घंटे (Instructional hours) की न्यूनतम संख्या-
- कक्षा 1 से कक्षा 5 तक- 800 घंटे
- कक्षा 6 से कक्षा 8 तक- 1000 घंटे
शिक्षक के लिए न्यूनतम कार्य घंटे (Working hours)- 45 घंटे प्रति सप्ताह (कक्षा 1 से कक्षा 8 तक)
RTE Act 2009 में किए गए संशोधन-
RTE Act संशोधन 2012-
इस संशोधन के द्वारा आरटीई एक्ट 2009 की धारा 3,4,5,6,7 और 39 में संशोधन कर संविधान द्वारा प्रदत्त अनुच्छेद 29 तथा 30 के अल्पसंख्यक अधिकारों को आरटीई अधिनियम में अंगीकृत किया गया।
RTE Act संशोधन 2019-
इस संशोधन के द्वारा धारा 16 तथा धारा 38 में संशोधन किया गया।
धारा-16 कक्षा में ना रोकने की नीति ( None Detention policy) मैं सुधार किया गया ।
- एक सामान्य परीक्षण शैक्षणिक वर्ष के अंत में 5 वीं कक्षा तथा 8 वीं कक्षा में लिया जाएगा।
- यदि बालक अनुत्तीर्ण होता है तो उसे अतिरिक्त अनुदेशन और अधिगम अवसर दिए जाएंगे तथा दो माह के बाद उसका पुनः परीक्षण किया जाएगा।
- यदि बालक पुनः प्रशिक्षण में भी अनुत्तीर्ण होता है तो समुचित सरकार यह तय करेगी कि कक्षा 5 या कक्षा 8 में बालक को रोका जाए या नहीं।
- बिना प्रारंभिक शिक्षा के समापन के किसी भी बालक को विद्यालय से निष्कासित नहीं किया जा सकता।
यदि आप समावेशी शिक्षा और अधिगम प्रतिफलों पर मेरे द्वारा लिखी गई पोस्ट बनाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।
Very good explanation. Keep up your good work