Theory of Jean Piaget in Hindi (Part-1)

सभी पाठकों को मेरा नमस्कार! , इस पोस्ट में हम जीन पियाजे का सिद्धांत के बारे में हिंदी भाषा में  (Theory of Jean Piaget in hindi) विस्तार से जानेंगे| जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत को हम कुछ पार्ट्स में विस्तार से समझेंगे जैसा की नीचे इमेज में माइंड मैप की सहायता से दर्शाया गया है| 

      इस टॉपिक को मैंने चार पार्ट्स में बांटा है-

(Part-1)- पियाजे और पियाजे के विचार

(Part-2)- संज्ञानात्मक विकास (Cognitive Development) 

(Part-3)- ज्ञान निर्माण की प्रक्रिया (Knowledge construction process)

(Part-4)- संज्ञानात्मक विकास का अवस्था सिद्धांत (Stage theory of cognitive development)

Theory of Jean Piaget in Hindi

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जीन पियाजे का सामान्य परिचय-

  • जीन पियाजे का जन्म सन 1896 में स्विट्जरलैंड में हुआ था। यह एक जीव शास्त्री थे किंतु मनोविज्ञान के क्षेत्र में इन्होंने अधिक काम किया।
  • यह एक निर्माणवादी मनोवैज्ञानिक थे।
  • जीन पियाजे को विकासात्मक मनोविज्ञान का जनक माना जाता है।
  • सबसे पहले नैतिक विकास का सिद्धांत जीन पियाजे ने दिया पर इन्होंने बाद में इस सिद्धांत पर काम करना छोड़ दिया और संज्ञानात्मक विकास पर काम करने लगे।
  • जीन पियाजे ने अपने ही बच्चों पर प्रयोगात्मक परीक्षण के आधार पर संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत प्रतिपादित किया

पियाजे के द्वारा लिखी गई महत्वपूर्ण पुस्तके-

1- द लैंग्वेज एंड थॉट ऑफ़ चाइल्ड

2- द चाइल्ड कांसेप्शन ऑफ़ द वर्ल्ड

3- द मोरल जजमेंट ऑफ़ द चाइल्ड

4- साइकोलॉजी ऑफ़ द चाइल्ड

सूचना प्रक्रमण प्रतिमान (Information Processing Model) – 

Jean Piaget का सिद्धांत एक सूचना प्रक्रमण  प्रतिमान है। पियाजे मस्तिष्क को एक प्रोसेसिंग डिवाइस मानते हैं जो कंप्यूटर की तरह ही सूचनाओं को प्राप्त करती है और उस पर प्रोसेसिंग करके उत्पाद देती है। नीचे इमेज में डायग्राम के जरिए अच्छे से दर्शाया गया है। 

Theory of Jean Piaget in hindi, Information processing model
Theory of Jean Piaget in hindi, Information processing model

     पियाजे के अनुसार, “ संज्ञान या संज्ञानात्मक विकास का आधार मस्तिष्क द्वारा सूचनाओं का प्रक्रमण है”

अतिवादी निर्माणवाद(Radical constructivism) –

पियाजे के मॉडल को अतिवादी निर्माणवाद कहा जाता है क्योंकि यह केवल मस्तिष्क के सूचना प्रकरण पर आधारित है लेकिन यह सामाजिक सांस्कृतिक भूमिका को सम्मिलित नहीं करता है। 

           बाकी सभी सिद्धांत यहां से शुरू होते हैं की सूचना कहां से प्राप्त होगी जबकि पियाजे सूचना कहां से प्राप्त होगी इस पर बात नहीं करते हैं बल्कि सूचना प्राप्त होने के बाद मस्तिष्क में क्या होगा इस पर बात करते हैं। 

निर्माणवाद पर पियाजे-

निर्माणवाद बालक द्वारा वास्तविकता(Reality) का प्रदर्शन (Representation) नहीं है यह वास्तविकता का अनुकूलन (Adaptation) है। 

        यानी हम वास्तविकता को जैसा भी देखते हैं वैसा हूबहू प्रदर्शित नहीं करते हैं बल्कि उसे अपने चिंतन और अपने दृष्टिकोण के अनुसार अनुकूलित करके प्रदर्शित करते हैं। 

  • वास्तविकता हर व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग होती है क्योंकि हर व्यक्ति का अनुकूलन  अलग-अलग होता है। 
  • प्रत्येक व्यक्ति का अनुकूलन का अपना तरीका होता है इसलिए निर्मित ज्ञान में व्यक्तिक भिन्नताएं पाई जाती हैं। 
  • प्रत्येक व्यक्ति की अपनी अनुकूलित वास्तविकता होती है और वह अपने ज्ञान का निर्माण स्वयं करता है। 

इसे एक  उदाहरण के माध्यम से समझते हैं-

कुछ व्यक्तियों के सामने से एक बाइक गुजरती है। यहां प्रत्येक व्यक्ति के लिए वास्तविकता समान है कि उनके सामने से एक बाइक गुजरी पर जब आप प्रत्येक व्यक्ति से इस वास्तविकता के बारे में पूछेंगे तो सबका उत्तर अलग-अलग होगा। जिसे बाइक के बारे में अधिक नॉलेज होगी वह बहुत सारी चीजें बता पाएगा लेकिन जिस व्यक्ति को बाइक के बारे में कम नॉलेज होगी वह कम चीजें बता पाएगा जबकि प्रत्येक के लिए वास्तविकता समान थी। 

  • हमारे आसपास का जगत सूचनाओं का समुद्र है जो बालक द्वारा अनुकूलन के लिए तैयार है जिससे वह ज्ञान का निर्माण करें। 
  • पियाजे के अनुसार बालक अपने वातावरण में वास्तविकता को सक्रियता से खोजता है अतः वह बालक को नन्हा वैज्ञानिक कहते हैं

भाषा और चिंतन पर पियाजे-

  • भाषा ही चिंतन है और चिंतन ही भाषा है। 
  • चिंतन भाषा से पहले होता है। (Thinking precedes language) 

लेकिन पियाजे इस चीज को सही से स्पष्ट नहीं कर पाए बाद में ब्रूनर पियाजे के समर्थन में आते हैं और इसे अपने सिद्धांत में स्पष्ट करते हैं। 

वाइगोत्सकी-

भाषा और चिंतन को लेकर पियाजे और वाइगोत्सकी  के दृष्टिकोण विरोधाभासी है। वाइगोत्सकी के अनुसार पहले भाषा विकसित होती है तब भाषा आधारित चिंतन। 

  • भाषा ही अधिगम और विकास के केंद्र में। 
  • पहले भाषा विकसित होती फिर भाषा आधारित चिंतन

ब्रूनर-

ब्रूनर पियाजे का समर्थन करते हुए बताते हैं की चिंतन भाषा से पहले होता है। ब्रूनर अपने सिद्धांत में तीन तरीके के चिंतन बताते हैं। 

  1. Enactive Thinking ( क्रियात्मक चिंतन) 
  2. Iconic Thinking ( संकेतात्मक चिंतन) 
  3. Symbolic Thinking ( प्रतीकात्मक चिंतन) 

ब्रूनर के अनुसार बालक सबसे पहले क्रियात्मक चिंतन करते हैं जो भाषाहीन होता है उसके बाद संकेतात्मक चिंतन करते हैं जिसमें वह Action को Icons के साथ जोड़ते हैं और धीरे-धीरे भाषा का विकास करते हैं । उसके बाद बालक प्रतीकात्मक चिंतन करते हैं जो भाषा आधारित चिंतन है। 

  • पियाजे Tabula rasa(कोरी स्लेट) की अवधारणा का खंडन करते हैं। Tabula rasa की अवधारणा जॉन लॉक ने दी थी। इस अवधारणा के अनुसार जन्म के समय बालक का मस्तिष्क कोरी स्लेट होता है जिस पर समय के साथ अनुभव के द्वारा लिखा जाता है। 

बालक जन्म के समय कोरी स्लेट नहीं होता है। वह जन्म के साथ ही कुछ तरीके के चिंतन करने में सक्षम होता है तभी तो वह रोना, दूध पीना , पकड़ना, आंखें बंद करना आदि जन्म के साथ ही कर पता है। 

सारांश- हमने इस पोस्ट ( Theory of Jean Piaget in hindi) के माध्यम से जीन पियाजे का सामान्य परिचय, सूचना प्रक्रमण प्रतिमान (Information processing Model), अतिवादी निर्माणवाद (Radical constructivism), निर्माणवाद पर पियाजे के विचार ,भाषा और चिंतन (Language and Thinking) पर पियाजे‌ वाइगोत्सकी और ब्रूनर के विचार के बारे में विस्तार से चर्चा की। 

      इस टॉपिक के Part-2 में हम संज्ञान क्या है?, स्कीमा क्या  है?, संक्रियाएं क्या है , संज्ञानात्मक विकास क्या है? और नन्हे वयस्क अवधारणा को विस्तार से समझेंगे। 

Also read :

Theory of Jean Piaget in hindi (part-2) 

Theory of Jean Piaget in hindi (part-3) 

Theory of Jean Piaget in hindi (part-4)

 

 

13 thoughts on “Theory of Jean Piaget in Hindi (Part-1)”

  1. बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
    अक्सर मनोविज्ञान के टॉपिक्स में पाठकों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जैसे – भाषा को न समझना, शब्दावली न समझना
    आपने पियाजे के विचारों को इस प्रकार सरल भाषा में समझाया है, स्पष्ट रूप से समझ आएगा।

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